शरद पूर्णिमा का पर्व कई मायनों में बेहद खास माना जाता है। बता दें कि आश्विन माह के आखिरी दिन पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहते हैं। इस रात खीर बनाकर रात भर चांद की रोशनी में रखा जाता है। बताया जाता है कि शरद पूर्णिमा का चांद 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है और इस रात चांद से अमृत का वर्षा होती है।
मान्यता है कि रात में खीर चंद्रमा की रोशनी में रखने से उसमें अमृत के गुण आ जाते हैं। फिर इस खीर का सेवन करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है। वहीं दीपावली से पहले शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, इस पूजा को कोजागर पूजा भी कहा जाता है।
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कोजागरा पूर्णिमा 2024
बता दें कि कोजागरी पूर्णिमा या कोजागर पूजा 16 अक्तूबर 2024 को मनाया जा रहा है। मुख्य रूप से यह त्योहार पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी अपने भक्तों से घर आती हैं। मां लक्ष्मी के आठ रूप होते हैं और इन आठ रूपों में से किसी भी रूप का ध्यान करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
क्यों होती है कोजागरा पूजा
वाल्खिल्य ऋषि ने कोजागरा पूजा का महत्व बताया है। कोजागरा पूजा की रात मां लक्ष्मी जागने वाले भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए पृथ्वी पर आती हैं। जो जातक गरीबी से घिरे होते हैं, उनको यह व्रत करना चाहिए। जो भी जातक इस व्रत को करता है या रात में मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करता है, उसे न सिर्फ इन जन्म में बल्कि दूसरे जन्म में भी धन, स्वास्थ्य और पुत्र-पौत्र का आनंद प्राप्त होता है। कोजागर व्रत कथा के मुताबिक आश्विन पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी संसार में भ्रमण करने के लिए निकलती हैं।